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Adityapur : गुरु बिन ज्ञान कहां से लाऊं गुरु से बड़ा न कोई जो गुरुवर की लाज बचाई सच्चा शिष्य वही: नीतू शर्मा

मध्यमवर्ग से निकलकर सरकारी मध्य विद्यालय उच्च विद्यालय की शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर सरायकेला जिले के आदित्यपुर नगर नियम के अंतर्गत वार्ड 17 की पूर्व वार्ड पार्षद श्रीमती नीतू शर्मा ने अपने शिक्षा दीक्षा की जर्नी की कहानी उन्होंने बताया आज मैं जो कुछ भी हूं हमारे विद्यालय सम्मानित गुरु श्री वैद्यनाथ पोद्दार के कारण हूं यहां तक अपने पांचो भाई बहन का शिक्षा दीक्षा इन्हीं गुरु के छत्रछाया में हुई है शिक्षा के साथ-साथ संगीत तथा खेलकूद का भी ज्ञान प्राप्त इन्हीं गुरु से मिला है आज भी जब अपने मायके समस्तीपुर बिहार श्रीमती नीतू शर्मा का जाना होता है तो अपने सभी भाई बहन के साथ साथ श्रीमती नीतू शर्मा जी भी अपने गुरु सम्मानित वैद्यनाथ पोद्दार जी से शिष्टाचार मुलाकात जरूर करते हैं तथा उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित करते हैं उनका कहना है कि वैसे तो जीवन में जन्म से मृत्यु के बीच जो भी जीव जंतु तथा मानव लोगों का उद्धार करते हैं तथा उनका हाथ पकड़ कर आगे की ओर बढ़ाते हैं वह सब गुरु ही है बिना गुरु का जीवन एक मनुष्य के लिए अंधेरी कुआं के समान है सिर्फ शिक्षा प्राप्त करके गुरु का मान सम्मान नहीं बढ़ा सकते हैं बल्कि संपूर्ण मानव को शिक्षित होना एक गुरु के लिए बहुत बड़ा उपहार होता है एक सर्वश्रेष्ठ गुरु यह चाहते हैं कि अगर उनका शिष्य उनके बताए गए अच्छे और सच्चे नक्शे कदम पर चलते हैं तो उनका जीवन धन्य हो जाता है गुरु के लिए इससे बढ़कर उपहार और कुछ नहीं हो सकता सामाजिक कार्य के साथ-साथ इन संबंधों को भी जोड़ कर रखना भी नीतू शर्मा का एक अलग पहचान है साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि आज मैं समाज का जो भी कार्य करती हूं इनमें उनकी माता श्रीमती स्वर्गीय वृंदा देवी का बहुत बड़ा योगदान है जन्म के पश्चात किसी भी बच्चे का पहला गुरु मां होती है हम ऐसे गुरु को नमन करते हैं जिंदगी के उतार-चढ़ाव में अंधेरे में भटके हुए मनुष्य को जो राह दिखलाता है इस कठिन वक्त में वह सभी हमारे गुरु ही है आज गुरु पूर्णिमा के दिन उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ गुरु तथा अपनी माता को याद करते हुए कहा आने वाले दिनों में देश के भविष्य हमारे बच्चे हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं वह सभी एक अच्छे गुरु के कारण ही आगे बढ़ने की कामना करते हैं इसीलिए कहा जाता है कि गुरु बिन ज्ञान कहां से लाऊं गुरु से बड़ा न कोई जो गुरुवर की लाज बचाए सच्चा शिष्य वही ।

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