उदयपुरएक घंटा पहले
बाल कल्याण समिति के अधिकारियों के साथ मासूम।
उदयपुर जिले के आदिवासी इलाके में एक मामा और पिता द्वारा 7 माह के मासूम को बेचने का मामला सामने आया है। कोटड़ा थाना क्षेत्र में एक बहन ने भाई पर बेटे को बेचने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। पुलिस के अनुसंधान में सामने आया कि पीड़िता के भाई ने उसके पति के साथ मिलकर डेढ़ लाख रुपए में 7 माह के मासूम का सौदा बाड़मेर के एक नर्सिंगकर्मी से किया।
पुलिस को मासूम खेडब्रह्मा (गुजरात) से बरामद किया। फिर बाल कल्याण समिति को सुपुर्द किया। जहां से समिति अध्यक्ष ध्रुव कुमार ने आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद बच्चा मां को सौंपा। गुजरात बॉर्डर के समीप कोटड़ा गड़ी निवासी पीड़िता ने बताया कि दिसम्बर महीने में उसका भाई उसे लेने ससुराल आया था। पीड़िता के 6 बच्चे हैं। इसमें से सबसे छोटे बेटे को लेकर वो अपने भाई के साथ पीहर सड़ा (उदयपुर) आ गई। जहां भाई उसके बेटे को लेकर कहीं चला गया। उस दौरान वो खुद बीमार थी। इलाज के लिए डॉक्टर के पास गई थी। भाई काफी दिनों तक बहन को गुमराह करता रहा। बार बार पूछने पर भाई और उसके कुछ साथियों ने 50 रुपए भी दिए। इससे पीड़िता को शक हो गया कि बच्चा बेच तो नहीं दिया। पीड़िता ने एसपी के समक्ष पेश होकर गत शुक्रवार मामला दर्ज करवाया।
मासूम की सौदेबाजी में पिता भी शामिल
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने बच्चे के मामा और पिता समेत 6 लोगों को पकड़ लिया है। पुलिस ने बताया कि मां की रिपोर्ट पर भाई से पूछताछ की तो सामने आया कि इस सौदेबाजी में पीड़िता का पति भी शामिल है। हालांकि पीड़िता की ओर से पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी गई है। पुलिस ने खेड़ब्रह्मा से मासूम को दस्तयाब करते हुआ बाल कल्याण समिति को सुपुर्द किया। बाद में उसे मां को सौंपा गया।
मासूम को दूध पिलाती माँ।
बाड़मेर के नर्सिंगकर्मी ने 1.5 लाख में खरीदा मासूम
पुलिस ने बताया कि बाड़मेर निवासी नर्सिंगकर्मी विजय ब्राह्मण निसंतान होने की वजह से बच्चा गोद लेना चाहता था। अम्बाजी में किसी काम के दौरान उसकी मुलाकात पीड़िता के भाई से हुई थी। नर्सिंगकर्मी ने कोई बच्चा गोद लेने की इच्छा जताई तो मासूम के मामा ने डेढ़ लाख में सौदा कर दिया। पीड़िता के 6 लड़के होने की वजह से उसके पति ने भी हामी भर दी। अम्बाजी में ही बच्चा नर्सिंगकर्मी को बेच दिया। दो महीने पहले लापता हुए बच्चे को पुलिस रविवार को खेड़ब्रह्मा से पकड़ कर लाई है।
जानकारी के अभाव में होती है मानव तस्करीबाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ध्रुव कुमार ने बताया कि किसी बच्चे को गोद लेने की भी एक प्रक्रिया है। उसे अपना लिया जाए तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन लोगों में जानकारी के अभाव के कारण इस तरह के अपराध हो जाते हैं। इस मामले में भी अगर नर्सिंगकर्मी प्रक्रिया को अपनाते हुए बच्चे को गोद लेता तो आज उस पर मानव तस्करी का मामला दर्ज नहीं होता। वैसे आदिवासी बाहुल्य इलाके में दलाल सक्रिय हैं। जो चंद रुपयों के लालच में ना सिर्फ मासूमों का सौदा कर देते हैं बल्कि एक हंसते खेलते परिवार को भी उजाड़ देते हैं।
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